राहु-केतु दोनों ग्रहों को छाया ग्रह के नाम से जाना जाता है और इनको पाप ग्रह भी कहा जाता है। दोनों ग्रहअस्तित्व हीन होते हैं दूसरे ग्रहों की प्रकृति के अनुसार अपना प्रभाव देते हैं। कुछ अवसरों पर इनका प्रभाव शुभ भी होता है। राहु और केतु यदि व्यक्ति की कुंडली में दशा-महादशा में हों तो व्यक्ति को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इन दोनों ग्रहों की शुभ स्थिति से व्यक्ति को काफी अच्छे परिणाम मिलते हैं।
राहु-केतु के संबंध में एक पौराणिक कथा प्रचलित है । दैत्यों और देवताओं के द्वारा किए गए सागर मंथन से निकले अमृत के वितरण के समय एक दैत्य अपना रूप बदलकर देवताओं की कतार में बैठ गया और उसने उनके साथ अमृत पान कर लिया। उसकी यह चालाकी जब सूर्य और चंद्र देव को पता चली तो उन्होंने बता दिया कि यह दैत्य है और उसी वक्त भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से दैत्य का मस्तक काट दिया। अमृत पान कर लेने की वजह से उस दैत्य के शरीर के दोनों भाग जीवित रहे और ऊपरी भाग सिर राहु और नीचे का भाग धड़ केतु के नाम से प्रसिद्ध हुआ।