पांच जुलाई को वो अपने एक दोस्त की मदद से वैन के जरिये औरैया पहुंचा। उसके साथ अमर दुबे और प्रभात मिश्र भी था। यहां से तीनों शाम को ट्रक पकड़कर फरीदाबाद रवाना हुए। छह जलाई को ये सभी अंकुर के घर पहुंचे। एक रात रुकने के बाद दूसरे दिन यानी सात जुलाई को विकास दिल्ली और अमर दुबे बस से रवाना हुए।

एसटीएफ की पूछताछ में विकास ने बताया कि उसके पास मोबाइल था नहीं। इसलिए बस स्टैंड या किसी होटल पर खाना खाने के दौरान टीवी पर खबरें देखता था। जिस दिन ये खबर चल रही थी कि वो सबसे बड़ा बदमाश हो गया था, उस दिन उसको यकीन नहीं हो रहा था। वो खुश हो रहा था।

मुठभेड़ में पहले ही मारे जा चुके विकास दुबे के मामा प्रेमप्रकाश पांडेय की बहू मनु ने इस पूरे घटनाक्रम के लिए राजनीतिक गंदगी को जिम्मेदार ठहराया है। विकास के मारे जाने के बाद शुक्रवार को उन्होंने कहा कि नेता लोग सब बच गए, लेकिन उनके लिए काम करने वाले मारे जा रहे हैं।