चम्पावत:  उत्तराखंड के चम्पावत में प्रतिबंध के बावजूद चार-पांच मिनट तक हुई बग्वाल के मामले में तीन दिन बाद भी मौके पर मौजूद एसडीएम की रिपोर्ट प्रशासन तक नहीं पहुंची है। अलबत्ता जिला प्रशासन इस मामले में अपने स्तर पर कार्रवाई करेगा। डीएम सुरेंद्र नारायण पांडेय का कहना है कि कोरोना काल में धार्मिक मेले का आयोजन को लेकर जारी दिशा-निर्देश के उल्लंघन पर जरूरी कदम उठाने को लेकर पुलिस को निर्देश दिए जा रहे हैं।

बता दें, मां बाराही धाम देवीधुरा में तीन अगस्त को बग्वाल हुई थी, जिसमें प्रशासन और मंदिर समिति ने बग्वाल नहीं होने पर सहमति जताई थी। तब कहा गया था कि बग्वाल की समूची गतिविधियां सिर्फ सांकेतिक और जारी दिशा-निर्देशों के हिसाब से होंगी। बग्वाल के बजाय चारों खामों के बग्वाली वीर सीमित संख्या में फर्रे के साथ मां बाराही मंदिर की परिक्रमा करेंगे, लेकिन तीन अगस्त को बग्वाल के दिन चार-पांच मिनट तक बग्वाल हो गई। इसे लेकर नायब तहसीलदार सचिन कुमार और मंदिर समिति के बीच विवाद की नौबत भी आ गई।

मंदिर समिति ने तीन अगस्त को नायब तहसीलदार पर अभद्रता का आरोप लगाते हुए डीएम को पत्र भेज कर तबादले की मांग की थी। मौके पर मौजूद एसडीएम आरसी गौतम ने फोन पर डीएम को हालात की जानकारी दी थी। अलबत्ता एसडीएम की ओर से मामले की कोई रिपोर्ट जिला प्रशासन को नहीं भेजी गई।

अब डीएम सुरेंद्र नारायण पांडेय ने पुलिस से मामले पर कार्रवाई करने को कहा है। इसमें देवीधुरा में तीन अगस्त को बग्वाल के दिन केंद्र व राज्य सरकार द्वारा कोरोना के लिए जारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन होने पर कार्रवाई करने को कहा गया है। वहीं, मंदिर समिति के अध्यक्ष खीम सिंह लमगड़िया का कहना है कि बग्वाल से जुड़ी सारी गतिविधियां पूरे नियम से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए की गई थीं। किसी के साथ बदसलूकी या अभद्रता नहीं की गई। आरोप बेबुनियाद हैं।

क्या है बग्वाल ? 

आपको बता दें, प्राचीन काल से चली आ रही यहाँ की एक स्थापित परंपरा के अनुसार माँ वाराही धाम में श्रावणी पूर्णिमा (रक्षाबंधन के दिन) को यहां के स्थानीय लोग चार दलों में विभाजित होकर (जिन्हें खाम कहा जाता है, क्रमशः चम्याल खाम, बालिक खाम, लमगडिया खाम, और गडहवाल,) दो समूहों में बंट जाते हैं और इसके बाद होता है एक युद्ध जो पत्थरों को अस्त्र के रूप में उपयोग करते हुये खेला जाता है। इस खेल को बग्वाल कहा जाता है।