उन्होंने कहा कि, ‘हमारे यहां कहा जाता है- मन के हारे हार, मन के जीते जीत।’ यानी हमारी संकल्पशक्ति, हमारी इच्छाशक्ति ही हमारा आगे का मार्ग तय करती है। जो पहले ही हार मान लेता है उसके सामने नए अवसर कम ही आते हैं।
कभी-कभी समय भी हमें परखता है, हमारी परीक्षा लेता है। कई बार अनेक कठिनाइयां, अनेक कसौटियां एक साथ आती हैं। लेकिन हमने ये भी अनुभव किया है कि इस तरह की कसौटी में हमारा कृतित्व, उज्ज्वल भविष्य की गारंटी भी लेकर आता है।
कोरोना वायरस से पूरी दुनिया लड़ रही है, भारत भी लड़ रहा है लेकिन अन्य तरह के संकट भी निरंतर खड़े हो रहे हैं। कहीं बाढ़ की चुनौती, कहीं टिड्डी, कहीं ओलावृष्टि, कहीं असम ऑयल फील्ड में आग, कहीं छोटे-छोटे भूकंप।
ICC ने 1925 में अपने गठन के बाद से आजादी की लड़ाई को देखा है, भीषण अकाल और अन्न संकटों को देखा है और भारत के विकास पथ का भी आप हिस्सा रहे हैं। अब इस बार की ये एजीएम एक ऐसे समय में हो रही है, जब हमारा देश कई संकटों का सामना कर रहा है।