हम सब जानतें हैं कि वन्य जीव और पारिस्थितिकी संतुलन के लिए बाघों की बहुत जरुरत हैं।  प्राकृतिक घरोंदे कम थे जिनकी वजह से यह एक चिंता का विषय बना हुआ था। लेकिन बाघ संरक्षण के अभियानों की वजह से अब इनकी संख्या में काफी इजाफा हुआ है। 2006 के मुकाबले 2018 में बाघों की संख्या दोगुनी हो चुकी है।

देश में अगर पिछले 12 सालों  पर नज़र डालें तो  बाघों की संख्या 6 फीसदी की बढ़त हुई हैं।  2018 में हुए एक सर्वे के आंकड़ों को देखा  जाए तो तीन भौगोलिक क्षेत्रों में बाघों की तादाद दोगुनी हुई है। शिवालिक की पहाड़ियों, गंगा के मैदानों में संख्या 297 से बढ़कर 646, पश्चिमी घाट क्षेत्र में 402 से बढ़कर 981 और पूर्वोत्तर के पहाड़ों व ब्रह्मपुत्र के मैदानी इलाकों में 100 से 219 हो गई है।